Tuesday, February 23, 2010

के. के. एम. और तारा पर्वत





आज दिनांक २३ फरवरी को मेहमानों ने के .के. एम. और तारा पर्वत(लिप्रोसी कालोनी) का दौरा किया | के. .एम. कालोनी में जाकर मेहमानों ने कालोनी के महिलाओं से बातचीत किया व उनके द्वारा हाथ से बनाए गए चादर, टावल , इत्यादि वस्तुएं भी खरीदी | चित्र एक में के.के.एम.कालोनी में अनेक रंगों के उन, इस उन से कालोनी की महिलाएं कपड़े बनाती है |चित्र सात व आठ में के.के.एम.कालोनी में मार्केटिंग करने के बाद केनेडियन मेहमान बैठकर आराम करते हुए |चित्र दो में डाक्टर प्रदीप के साथ केनेडियन मेहमान के.के.एम.कालोनी का भ्रमण करते हुए |चित्र तीन में तिब्बतन सेटेलमेंट ऑफिस के हेड डाक्टर प्रदीप स्वागत करते हुए , इस तिब्बतन ऑफिस में केनेडियन मेहमानों ने भ्रमण किया , जहां पर लोग हैंडलूम से कपड़े बना रहे थे |और चित्र चार ,पांच व छः में तारा पर्वत का सीन |चित्र चार में तारा पर्वत के लोग हाथ से बनाते हुए कपड़े |चित्र पांच में तारा पर्वत के आस -पास के स्थान को मेहमानों को दिखाते हुए डाक्टर प्रदीप, तथा चित्र छः में डाक्टर प्रदीप तारा पर्वत के लोंगो से बातचीत करते हुए |

Sunday, February 21, 2010

केनेडियन गेस्ट





समग्र में कनाडा से आये मेहमानों ने नेहारुग्राम गांव का दौरा किया, जहां महिलाए सिलाई सिख रही है | चित्र एक , तीन, व चार में महिलाओं द्वारा बनाए गए बच्चे के छोटे -छोटे कपड़ो को देखते हुए केनेडियन मेहमान | इस दौरान मेहमानों ने नेहारुग्राम की महिलाओं से बातचीत भी किया , महिलाए काफी खुश थी मेहमानों से मिलकर |कनाडा से आये मेहमान समग्र में लगभग बीस दिन तक रहेंगे तथा अन्य - अन्य स्थानों का (मसूरी, हरिद्वार ,स्कूल इत्यादि ) भ्रमण करेंगे |चित्र पांच में सिलाई सीख रही महिलाओं का फोटो लेते केनेडियन मेहमान | तथा चित्र दो में डाक्टर प्रदीप व श्रीमती सुचित्रा अग्रवाल के परिवार के साथ रात के भोजन के साथ मेहमान |

Tuesday, February 16, 2010

नेहारुग्राम , सिलाई ....



नेहारुग्राम में महिलाएं सिलाई मन लगाकर सीख रही है | नेहारुग्राम में जो महिला सिलाई सिखाती है, उनका नाम श्रीमती संतोष है , श्रीमती संतोष ने बताया कि अभी सेंटर शुरू हुए लगभग बीस दिन हुए है | इन बीस दिनों में काज करना , बटन लगाना , चार तरह के फ्राक की कटिंग करना व बनाना इत्यादि सिखाया जा चुका है |(इस चित्र में बीच में बैठी श्रीमती संतोष ) श्रीमती संतोष ने बताया कि अब पेटीकोट सिखाया आ रहा है | महिलाओं ने बताया कि यह सिलाई सेंटर खुल जाने से हम खुश है , क्योंकि हमारे गांव में कही पर येसा सेंटर नहीं था, जहां पर हम लोग सिलाई सीखने को जाते |

Thursday, February 11, 2010

ग्रुप स्पीच थिरेपी

दूसरे चित्र में स्कूल का एक दृश्य , ग्रुप स्पीच थिरेपी का | दूसरे चित्र में ध्यान करते विजय कुमार |

Tuesday, February 9, 2010

हकलाना शर्म की बात नहीं

निलुत्पल ने अपने हकलाने को स्वीकार किया है |और जब से निलुत्पल ने अपने दोस्तों से यह कहना शुरू किया है कि, मै हकलाता हूं और मै स्पीच थिरेपी ले रहा हूं तब से निलुत्पल काफी राहत महशुस कर रहा है |

नीतू



आज दिनांक ८ फरवरी को विजय नयी बस्ती गांव में गए व गाँव के लोंगो को समग्र आश्रम जो सेवाए लोगों को दे रहा है जानकारी दी | गांव में एक बच्ची थी, जिसका नाम नीतू था ,नीतू के पैर में थोड़ी समस्या है , नीतू को एक जोड़ी जुते (ऊपर से नीचे तक ) की जरूरत है ,जुते पहनने के बाद नीतू के पैर कुछ महीने में सीधे हो सकते है |इन चित्र में नीतू बीच में अपने स्कूल के बच्चों के साथ |गांव में कुछ लोगों के कान की जांच भी विजय ने किया |

Saturday, February 6, 2010

कढ़ाई



इस चित्र में समग्र ट्रस्टी श्रीमती सुचित्रा अग्रवाल महिलाओं को कढाई सिखा रही है | सिलाई श्रीमती राजकुमारी जी महिलाओं व लडकियो को सिखाती है , पर बीच- बीच में श्रीमती सुचित्रा जी इन महिलाओं को सिलाई के अलावा अन्य जैसे - कढाई , बुनाई इत्यादि सिखाती है |

Thursday, February 4, 2010

लक्ष्मी



आज दिनांक २ फरवरी को लक्ष्मी को ह्वील चेयर समग्र ने नेशनल ओर्थोपेडिक संस्था देहरादून से दिलाया | अब लक्ष्मी ह्वील चेयर पर बैठकर स्कूल आसानी से जा सकती है | लक्ष्मी की मम्मी ने कहा कि आज मै बहुत खुश हूं, क्योंकि अब लक्ष्मी को स्कूल आसानी से छोड़ पाउंगी| लक्ष्मी के पापा व मम्मी मजदूरी का काम करते है | दूसरे चित्र में लक्ष्मी के साथ पापा , मम्मी व लक्ष्मी की छोटी बहन |पहले चित्र में इंदिरा नगर , देहरादून के सुनील के पापा को हियरिंग एड समग्र द्वारा दिया दिलवाया गया |

Tuesday, February 2, 2010

स्कूल विजिट





आज दिनांक एक फरवरी को विजय बनियावाला स्कूल में ग्रुप स्पीच थिरेपी के लिए गए | ग्रुप स्पीच थिरेपी के बाद विजय बच्चों के माता-पिता के साथ एक छोटी सी मिटिंग किये, जिसमे विजय ने बताया कि हकलाने वाले बच्चों के साथ माता-पिता व परिवार की भूमिका क्या हो सकती है, और उनकी मदद कैसे परिवार वाले कर सकते है (दूसरे चित्र में बच्चे व उनके माता-पिता )| इसके अलावा विजय गांव की एक बच्ची से मिले (चित्र तीन में बच्ची अपने पिता व भाई के साथ ) बच्ची का नाम लक्ष्मी है , लक्ष्मी तीसरी कक्षा में पढती है ,यह बच्ची चल नहीं सकती , लक्ष्मी लकड़ी के सहारे से चलती है, व स्कूल में पापा उठाकर ले जाते है | विजय लक्ष्मी को एक ट्राई साइकिल की जरूरत है , जिससे कि लक्ष्मी स्कूल आसानी से जा सके |पहले चित्र में समग्र ट्रस्टी श्रीमती सुचित्रा अग्रवाल के साथ सोनिया |व चौथे चित्र में सिलाई सीख रही महिलाएं व लड़कियां |